आधुनिक तकनीक के साथ आधुनिक सोच भी जरूरी
21 वीं सदी में मे जब हम आधुनिकता की बात करते हैं तब आधुनिक सोच की भी बात होनी चाहिए | आज के युग मे किसी भी व्यक्ति को रूप, रंग या आकार से उसे पहचान दे दी गई है | जो काला दिखता है उसे कालू, जो मोटा उसे मोटू, जो छोटा उसे नाटा या बौना,जो लम्बा उसे लंबू कह कर उसकी वही पहचान बना दी जाती है | मानवता का निचले स्तर पर होना उस समय प्रतीत होता है जब कोई व्यक्ति किसी अपाहिज को देख कर संवेदना प्रकट करने की जगह उसका मज़ाक उड़ाता है |
भौतिक उपस्थिति और गोरापन को ही परखने का पैमाना मान लिया गया है | किसी भी व्यक्ति को उसके विचार, व्यवहार और आचरण से भी परखा जाना चाहिए | क्या हमारी इंद्रियों को भौतिक उपस्थिति या गोरापन ही प्रभावित करती है? क्या हमारे लिए किसी के विचार या स्वभाव जानना महत्वपूर्ण नहीं है?
किसी भी सोच या समाज को प्रभावित करने मे फिल्मो का योगदान होता है | बॉलीवुड फिल्में उदाहरण है | अक्सर लीड रोल उन्ही अभिनेताओं-अभिनेत्रियों को दिया जाता है जो गोरे और अट्रैक्टिव दिखने वाले हो | हॉलीवुड फिल्मो से ये सीखने वाली बात होगी कि वे लीड मे भी काले दिखने वाले व्यक्ति को रखते हैं | पिछले कुछ वर्षों में यह अच्छी बात रही कि आ रहे नए फ़िल्म निर्माताओं ने अभिनेता के अभिनय पर ध्यान दिया है ना कि रूप-रंग पर | जब कोई आपका चहेता कलाकार, खिलाड़ी या प्रेरणास्रोत व्यक्ति किसी व्यर्थ क्रीम, पाउडर, सेंट, इत्यादि का प्रचार करता है तो यह एक चिंता का विषय बन जाता है |यह चिंता का विषय इसलिए है क्योंकि कोई व्यक्ति जो मोटा, काला या छोटा है, वो पतला, गोरा या लम्बा होने के लिए अपने चहेते कलाकारों खिलाडियों पर भरोसा कर क्रीम या दवाई खरीदता है | जब उन क्रीम व दवाइयों का असर नहीं होता तब वह खुद को पीड़ित महसूस करता है |
![]() |
| समाज के अनैतिक व्यवहार से पीड़ित |
यह एक मानसिकता बनी हुई है जो जैसा दिखता है, वैसा ही उसका स्वाभाव मान लिया जाता है | बस ट्रेन में सफर करते समय जब कोई व्यक्ति ऐसा दिखता जिसने गंदे कपड़े पहने हो, रंग काला हो तो उसे लोग चोर या अपराधी समझने लगते हैं | सारी माताएँ यही चाहती है कि उनका बेटा कृष्ण-कन्हैया जैसा नटखट हो लेकिन ये इच्छा नहीं होती कि कृष्ण जैसा रंग भी हो | उन्हें यह पता है कि रंग की वजह से उनके बेटे को समाज मे कितना संघर्ष करना होगा | अखबारों और ऑनलाइन साइट के वैवाहिक विज्ञापनों मे भी यही दर्शाया जाता है कि रूप, रंग, कद विवाह के लिए अवश्यक है | उनकी प्राथमिकता शिक्षा, स्वाभाव, आचरण या चरित्र जानना नहीं होता | हमे समझना होगा कि रंग या शरीर का आकार जीन पर निर्भर करता है | इस विषय को शिक्षा का अहम हिस्सा बनाया जाना चाहिए ताकि आने आने वाली पीढियां भेद-भाव का शिकार ना बने |
